Wednesday, March 20, 2013

ऐ नन्हें से मेरे मन,जी लेना हर पल,बेखौफ,बेफिक्र 



 ऐ मेरे नन्हें  से मन ,कुछ पल जीने को जी चाहता है,

ग़म भुलाकर फिर से,हँसने को जी चाहता है,



जाने केसे उम्र बीतती चली गयी,मगर महसूस हुआ यूँ,

ऐ मेरे मन,तू तो वहीँ नन्हीं सी सूरत के साथ रह गया,



उम्र के साथ साथ,कब इस उम्र तक आ पहुंचे मगर,

ऐ मन,तू तो नन्हें ख्वाब बुनता ,नन्हाँ सा ही रह गया,



ऐ खुदा,उम्र की न सुनते हुए,इस नन्हे मन की सुनने  को जी चाहता है,

दबे अरमानों  का,फिर से आगाज़ करने को जी चाहता है,



ऐ मेरे नन्हें  मन,मेरे रूठे पिया को ले आ,

अरे, कितने नटखट हो,हवा का झोंका बन कर ले आये मेरे पी को,,,,,,,,,,,,,,,



चलो मेरे प्रियतम,सब भुलाकर नन्हें मन की राह पर चले,

फिर से नन्हें मन के साथ,खुशनुमां ,बीते लम्हें जीयें,



ऐ खुदाया,उम्र के तकाज़े से बेख़ौफ़,नन्हें मन की देहलीज़ पर कदम रख रहे हैं हम,

फिर से मीठे पलों की आगोश में,दुनियां से बेख़ौफ़ हो खो रहे हैं हम,



चलो,,,चलो न,,,हाथों में हाथ डाले,चलें कहीं दूर,

नन्हें मन की सुनते हुए,निकल जाएँ कहीं दूर,



चलो,,,,चलो न,,,,,,,,,,

आयो दूर उस टीले पर बैठें,तुम्हारी गोद में मेरा सर हो,

मेरे बालों को सहलाते, हुए तुम भी कह उठो,



यही तो वो पल था,जिसे बहुत पीछे छोड़ आये थे प्रिय,

आज जी कर लगा,मानों गुज़रा वक्त इसी लम्हें में जी लिया;



लगा ही नहीं कि,उम्र के इस मकाम पर उम्र बीत गयी हो,

लगा यूँ मानों,नन्हें मन की खुशियों के हज़ारों साल बाकी हों,



चलो,,,,,चलो ना,,,,,,,,,,

क़दमों से कदम मिलाकर,ढलते सूरज की ख़ामोशी में,

हाथों में हाथ डाले,चलें गीली रेत पर,



पीछे क़दमों के निशान,इस कदर छोड़ कर,

की उम्र का कोई तकाज़ा नहीं होता,जीत पर,



आयो वादा करें,इसी नन्हें मन की सुनेंगे,जो नन्हीं खुशियाँ दे गया,

ढलती उम्र में भी ,प्यार का मीठा रस घोल गया,



नन्हें मन की दुनिया को, ऐ{ गीत} हर पल जी लेना,

उम्र के भरोसे,ये पल खो न देना,नन्हें मन के साथ उम्र का हर पल जी लेना




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