इंतज़ार की कशिश मिठास में बदल जाती है
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हर लम्हा,हर घड़ी,यूँ ही निकलती चली गयी,
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हर लम्हा,हर घड़ी,यूँ ही निकलती चली गयी,
समय की अँधेरी रात,मुझे झंझोड़ती चली गयी,
हर पल आंधियाँ,मुझे घेरते चली गयीं।
बस......अब बहुत हुआ ,
ऐ समय....तेरा यह कहर।
बस.......अब बहुत हुआ,
ऐ समय.......तू अब ज़रा ठहर।
हर अपना फैसला,मुझ पर थोपा तूने,
अब तू मेरा फैसला सुन।
हर तरह की,मुझ पर आजमाइश की तूने,
अब तू मेरी बात सुन।
ऐ वक्त.........समय की हर घड़ी,
तू साथ रहा मेरे,
हर लम्हा,साथी बन साथ चला मेरे,
हर पल,संग रहे हमराज बन कर मेरे।
तो अब यह बेरुखी क्यूँ,
क्यूँ साथ छोड़ रहा है मेरा।
ऐ वक्त........साथ-साथ रहने वाले
अब क्यूँ हाथ छोड़ रहा है मेरा।
तू बेवफा हुआ तो क्या,
मैं न साथ छोडूंगी तुम्हारा।
तुम्हारा और मेरा कदम बड़ा तो,कदम बनेगा हमारा,
अँधेरे में यह उम्मीद की किरण,बन जाएगी सहारा.
इस किरण की शक्ति को शायद,भूले बैठे हो तुम,
इस शक्ति की वजह से ही,इतराते रहे हो तुम,
कभी बुरा तो,कभी अच्छा समय बन कर नचाते रहे हो तुम,
इस शक्ति की शक्ति को शायद,पहचानना ही नहीं चाहते तुम।
समरण रहे कि,इस शक्ति के प्रकाश से ही,जिन्दा हें हम,
इस शक्ति के प्रकाश से ही,वजूद में हमारे है दम।
यह शक्ति कोई और नहीं,मेरी माँ जगदम्बा कि ज्योति का प्रकाश है।
इस प्रकाश की किरणों से ही तुम्हारे धूप छाँव है,
इस प्रकाश की किरणों से ही,मेरे स्वांस में स्वांस हैं।
विशवास है अटूट उस पर,कि आंयगी मेरी मां सहारा बन कर, तुम्हारा भी विचार बदल जायेगा,उसका प्यार देखकर,
ऐ समय..............बुरा वक्त बन कर मेरे साथ चलने वाले,
बदल जायोगे तुम भी,उसका करीश्मा देख कर.
इन्तजार कि घड़ियाँ खत्म होंगी अब,इन्जार की कशिश मिठास बन जायगी अब.
जब देखोगे मां की ज्योति का नूर,बिखरता हर तरफ,
तो;ऐ वक्त.......तुम्हारा भी इरादा बदल जायेगा तब.
उस जगत जननी से न उलझना कभी,
बलवान होगे तुम अपनी जगह,
उस करुणामयी मां से बड़ा कोई नहीं.
मेरा यह इंजार खत्म होने ही वाला है,
मिठास बन कर मेरी कशिश को किनारा मिलने ही वाला है.
विशवास यह मेरा,अडिग हे उस पर,
बस....अभी......अगले ही पल,शक्ति का इशारा मिलने ही वाला है.
मेरे भरोसे को वो तोड़ेगी न कभी,
उसका अंश हूँ,भूलेगी न कभी
अपनी आँचल की छावं में,छुपालेगी मुझे वो कभी न कभी,इन मीठे पलों की मिठास में जी लूँगी अब में ख़ुशी ख़ुशी....................................................

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