सर झुकाया तो पत्थर
लेकर तुम्हारा नाम,जहां सर झुका दिया,2,
मेने उसी दयार को,काबा बना दिया..}}
सर झुकाया तो,पत्थर सनम बन गए,4
इश्क भटका तो,हक़ आशना हो गया,4
1.रश्क करता है काबा,मेरे कुफ्फ्र पर,4
मैनें जिस बुत्त्त को पूजा, खुदा हो गया,2
गुम रही है के ये लाज है इश्क की,2
ऐ जुनूं बोल मंजिल है,ये कोनसी,4
उसके घर का पता पूछते-पूछते,4
पूछने वाला खुद लापता हो गया,4
2.मैं मुहोब्बत से मुह मोड़ लेता अगर,4
टूट पड़ती ये बिजली किसी और पर,4
मेरे दिल की तबाही से ये तो हुआ,4
कमसे कम दूसरों का भला हो गया,4
3.वक्त एहबाब,परछाई,सूरज,किरण,2
लोग,दुनिया,ख़ुशी,चांदनी,ज़िन्दगी,2
मेरे महबूब इक्क तेरे गम के सिवा,4
जो मिला रास्ते से,जुदा हो गया,4
4.कारोबारे तम्मना पे ये तो हुआ,4
उनके कदमों पे मरने का मौक़ा मिला,4
जिंदगी भर तो घाटा उठाते रहे,4
आज पहली दफ्फा फायेदा हो गया,4
5.ऐसा भटका की लौटा नहीं आज तक,4
ऐसा पिछड़ा के आया नहीं आज तक,2
दिल ये कमबक्त है इस कदर बाम्वला,2
आपके घर गया आपका हो गया,4
सर झुकाया तो,पत्थर सनम बन गए,2
इश्क भटका तो,हक़ आशना हो गया.....2

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