Sunday, June 8, 2014

वाह-वाह रे मौज फकीरां दी

वाह-वाह रे मौज फकीरां दी,4
1.बादशाहा दे,न अमीरां दे,4 दिवे जगदे सदा फकीरां दे,
वाह-वाह रे----------
2.जो फकीरी मिजाज़ रखते हैं,2 वो तो ठोकर में ताज रखते हैं,
कल की चिंताएं वो नहीं करते,अपनी मुठी में आज रखते हैं,
वाह-वाह रे----------
3.कभी घी घना,कभी मुठी भर चना,
और कभी उसको भी मना, वाह-वाह रे---------                        
4.कभी तो खान्वे रुखी सुखी,कभी कटोरे खीरों के,
खुसरो कहे,खुदा मेरा जाने,क्या हैं ठाट फकीरों के,
वाह-वाह रे---------
5.कभी चबांवें चना चबेरा,2 कभी लपटा लैंदे खीरां दी,
वाह-वाह रे----------
6.कभी तो ओढ़न शाल-दोशाले,4 कभी गुदड़िया लीरां दी,2
कभी तों ओढ़न शाल-दुशाले,कभी गुदड़िया लीरां दी,
वाह-वाह रे----------
7.कभी तो सोंवें महल चुबारे,4कभी टूकडिया लीरां दी,2
वाह-वाह रे----------
8.माँग-माँग के टुकड़े खांदे,4 चलदे चाल अमीरां दी,4
वाह-वाह रे------------
बादशाहा दे ना अमीरां दे, दिवे चलदे सदा फकीरां दे                    
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