**वंदना**
हे मात मेर,हे मात मेरी
हे मात मेरी, हे मात
मेरी,हे मात मेरी,हे मात मेरी,
केसी ये देर लगाई हे
दुर्गे,हे मात मेरी,हे मात मेरी,
1.भाव सागर में गिरा पड़ा
हूँ,
कामादि ग्रह में गिरा पड़ा
हूँ,
मोहादी जाल में जकड़ा पड़ा
हूँ,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
2.ना मुझ में बल है,ना मुझ
में विद्या,
ना मुझ में भक्ति ना मुझ
में शक्ति,
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
3.ना मेरा कोई कुटूम्भ
साथी,
ना ही है मेरा शरीर साथी,
आप ही उभारो पकड़ के बाँहें,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
4.चरण कमल की नौका बनाकर,
मैं पार हूँगा ख़ुशी मनाकर,
यम दूतों को मार भगाकर,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
5.सदा ही तेरे गुणों को
गाऊँ,
सदा ही तेरे स्वरुप को
चाहूँ,
नित प्रति तेरे गुणों को
गाऊँ,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
6.ना मैं किसी का,ना कोई मेरा,
छाया है चारों ओर अँधेरा,
पकड़ के जोती दिखादो रास्ता,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,
7.शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,
करो ये नैया पार हमारी,
कैसी ये देर लगाई हे जननी,
हे मात मेरी,हे मात मेरी,

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