कन्हिया तुम्हे इक्क नज़र देखना है
कन्हिया तुम्हे, इक्क नज़र देखना है,4
जिधर तुम छुपे हो, जिधर तुम छुपे हो,
उधर देखना है, कन्हिया तुम्हे, इक्क नज़र देखना है,
1.विदुर भीलनी के,जो घर तुमने देखे,4
तो तुमको हमारा भी,तो तुमको हमारा भी,
वो घर देखना है, कन्हिया तुम्हे, इक्क-------जिधर तुम-------
2.उबारा था जिस कर से,ईध ओर गज को,4
हमें उन हाथों का, हमें उन हाथों का,
हुनर देखना है, कन्हिया तुम्हें,---------जिधर तुम---------
3.तपक्तें हैं दृग बिंदु,तुमसे ये कह कर,4
तुम्हें अपनी उल्फत में, तुम्हें अपनी उल्फत में,
तर देखना है, कन्हिया तुम्हें, इक्क---------जिधर तुम---------

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